मुरैना की गजक और रीवा का सुंदरजा आम बना MP की पहचान, 6 और उत्पादों को मिला GI टैग
GI Tag to Gajak Sundarja Mango: यह पहला अवसर है कि जब एक साथ प्रदेश के इतने उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है. साथ ही प्रदेश में जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या 19 हो गई है.
मप्र के 6 और उत्पादों को मिला जीआई टैग. (Image- IANS)
मप्र के 6 और उत्पादों को मिला जीआई टैग. (Image- IANS)
GI Tag to Gajak Sundarja Mango: मध्य प्रदेश के हस्त शिल्प उत्पाद ने नया इतिहास बनाया है. केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एडं इंटरनल ट्रेड द्वारा मध्य प्रदेश के 6 उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag) प्रदान किया गया है. इनमें रीवा का सुंदरजा आम (Sundarja Mango) भी है. आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर का कार्पेट, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, जबलपुर भेड़ाघाट का स्टोन क्राफ्ट, बालाघाट की वारासिओनी की साड़ी और रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग प्रदान किया गया है. यह पहला अवसर है कि जब एक साथ प्रदेश के इतने उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है. साथ ही प्रदेश में जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या 19 हो गई है.
सुंदरजा की मिठास अद्भुत
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, मैं मुरैना और रीवा की जनता को बहुत - बहुत बधाई देता हूं. चंबल की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को GI टैग मिल चुका है. मुरैना की गजक का स्वाद अब दुनिया में जा रहा है और सुंदरजा की मिठास अद्भुत है.
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मैं मुरैना और रीवा की जनता को बहुत - बहुत बधाई देता हूं।
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) April 7, 2023
चंबल की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को GI टैग मिल चुका है। मुरैना की गजक का स्वाद अब दुनिया में जा रहा है और सुंदरजा की मिठास अद्भुत है।
- माननीय मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/rnq9mwE3GC
क्या होता है जीआई टैग?
GI Tag यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है.
प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी संत रविदास हस्तशिल्प विकास निगम अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि जीआई टैग (GI Tag) एक प्रकार का लेवल है, जिसमें किसी प्रॉडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है, जो केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिया जाता है. नाबार्ड टेक्सटाइल कमेटी और वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से राज्य सरकार के कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग के साथ स्थानीय उत्पादक संस्थाओं ने समन्वय से यह सफलता प्राप्त की गई है.
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(IANS इनपुट के साथ)
02:58 PM IST